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About us

Cows are the saviors of civilization!

There is a lot of truth in the above statement because if cows are removed from the agricultural practices and replaced by mechanical and chemical methods of cultivation then human civilization, its culture, its survival and its social structure all become threatened simultaneously.

Girgausanskriti was set up in 2020 with the inspirational goal of saving the gaumatas from the cruel hands of mechanization and modernization of agriculture in Gujarat; India.

Niravbhai strongly believes in practicing organic farming based strictly on the dung and urine obtained from the cows.

Spread in 10 acres of land in Gondal, Gujarat he practices and produces organic agricultural produce with the help of natural fertilizer and pesticides obtained from guamatas in the form of gobar, Gaumutra.

Presently he is producing around 15 Panchgavya products that he believes are the blessing of mother cows, he lovingly tends on his farm. His products are now finding distributors in Maharashtra and other neighboring states of Gujarat.

His mission is to save the Gaumatas from the pathetic slaughtering and to set forth an example in front of the coming generations to make them believe that cow based agriculture is totally possible in today’s time too.

He attributes the success of his story to the gaumatas and the power of the panchgavya which saves a person, society, a country and the humanity as a whole!!

गौ सानिध्य में प्राकृतिक जीवन शैली

धेनुं सदनं रयीणाम्

यया सर्वमिदं व्याप्तं जगत् स्थावरजङ्गमम्।

तां धेनुं शिरसा वन्दे भूतभव्यस्य मातरम्॥

अनुवाद = जिसने समस्त चराचर जगत् को व्याप्त कर रखा है, उस भूत और भविष्य की जननी गौ माता को मैं मस्तक झुका कर प्रणाम करता हूं॥

जय गौमाता की

वैदिक धर्म ही मानव धर्म है

 

केवल वेद ही संसार मे शान्ति का आधार हो सकता है।

अपने प्राचीन ऋषि मनीषियों को इस बात का ज्ञान था तभी उन्होंने
अग्निहोत्र
जैसा विज्ञान हमे दिया जिससे हम प्रकृति संतुलन कर सकते है ।

केवल अग्निहोत्र ही एक ऐसा स्रोत है जो

भूमि – भ
गगन – ग
वायु – व
अग्नि – अ
नीर – न
———————
भ-ग-व-अ-न
———————-
भगवान
———————-
को ऊर्जा देता है ।

 

“यज्ञो वै श्रेष्ठतमं कर्म”

यज्ञ करना सबसे श्रेष्ठ कर्म है । 

”अयं यज्ञो विश्वस्य भुवनस्य नाभि:”

यह यज्ञ संपूर्ण ब्रह्मांड की नाभि है ।

 

वेदो अखिलो धर्म मूलं

ऋग्वेद में “ज्ञान” हे ।

यजुर्वेद में “कर्मकांड” है ।

सामवेद में “उपासना” है ।

अथर्ववेद में “विज्ञान” हैं ।

अग्निहोत्र की कृति बेजोड़ है! यह बगैर पूजा किये हुए महापूजा है। यह बगैर प्रार्थना किये हुए अत्यंत प्रभावी प्रार्थना है।

ईश्वर शक्ति द्वारा संरक्षण प्राप्त कर लेने का साधन है।ऐसा साधन और कोई नहीं।

“घर घर प्रचार अग्निहोत्र का,होवे यही स्वरुप धर्म का।”
यही उस महान शक्ति से प्रार्थना है।

For us,

our cow is everything

Because in this love there is never betrayal … 

  

हमारे लिए,

हमारी गाय ही सब कुछ है

क्योंकि उसके प्यार में कभी विश्वासघात नहीं होता…

एक अनोखा ऑनलाइन स्टोर जहाँ उत्पाद और उसकी मात्रा सीमित है, गुणवत्ता नहीं

 

हमारा प्रण है की: यदि कोई उत्पाद हमारे स्वयं के घर में प्रयोग करने योग्य नहीं होगा तो आपको भी नहीं मिलेगा

 

गावो ममाग्रतो नित्यं गावः पृष्ठत एव च।
गावो मे सर्वतश्चैव गवां मध्ये वसाम्यहम्॥

अनुवाद = गौएं मेरे आगे रहें। गौएं मेरे पीछे भी रहें। गौएं मेरे चारों ओर रहें और मैं गौओं के बीच में निवास करूं

 

यया सर्वमिदं व्याप्तं जगत् स्थावरजङ्गमम्।

तां धेनुं शिरसा वन्दे भूतभव्यस्य मातरम्॥

गावोविश्वस्यमातरः

मातरःसर्वभूतानांगावौविश्वस्य_सुखप्रदा

कामधेनु माता मंत्र सर्वकामदुधे देवि सर्वतीर्थीभिषेचिनि ।

पावने सुरभि श्रेष्ठे देवि तुभ्यं नमोस्तुते ॥

 

शुरुआती रूझान तो यह है की शुद्धता की मांग सबके पास है और लोग उसके लिए किसानो और गोपालको के प्रोत्साहन हेतु थोड़ा अधिक धन खर्च करने को भी तैयार है ।

निकट भविष्य में आर्थिक सुदृढ़ता निश्चित होते ही इस व्यवस्था का बड़ा हिस्सा गाय एवं उस पर आश्रित गोपालको के उद्धार पर खर्च करने की योजना है जिसके पहले चरण की घोषणा शीघ्र ही होगी ।

इस कार्य में हम धीमे अवश्य है परन्तु सुदृढ़ है एवं यही हमारी शक्ति है ।

गो पालीं तब ही बने, कान्हा जी गोपाल । दूध-दही से वे करें, सब को मालामाल ।।

गायों की सेवा करो, और बचाओ जान । कान्हा आगे आयेंगे,सुख की छतरी तान ।।

गो माता करतीं सदा, भव सागर से पार । इनकी तुम सेवा करो, जीवन देंगी तार ।।

खेतों में इसके गोबर से, हम सोना उपजायें। भारत की पावन भूमि से, कटता गोवंश बचायें॥

आयुर्वैदिक आहार विहार अपनाओं मनोदैहिक रोग भगाओ

वैदिक कृषी गौ पालन का स्वावलंबी प्रकल्प अपनाओ

 

गोबर से बढ़िया नही, खाद दूसरी कोय ।

डालोगे गर यूरिया, लाख बीमारी होय ।।

आधुनिक अधतन यांत्रिक टेकनिकल फार्मिंग क्रांति का विनाश कारि विकल्प  भगाओ

 

गौमाता_राष्ट्रमाता

कुछ कर गुजरने कीगर तमन्ना उठती हो दिल में,
भारतमाँ का नाम सजाओ दुनियाकी महफिल में।

जय गौमाता 
 वंदे गौमातरम्